गाँधी एक रहस्य
“गांधी एक रहस्य”-सौरभ दुबे
आपके देखने और सोचने का नजरिया उन चीजों से जुड़ा हुआ होता है जिनको आप देख रहे होते हो या जैसा कि वो आपको जैसी दिखाई जा रही होती है।इस दशा मैं आपकी हालात ऐसी होती है जैसी की आप एक अंधे व्यक्ति है जिसे अगर कोई हाथी दिखाया जाए तो वो हाथी को स्पर्श करके बताएगा कि हाथी कभी साप के जैसा है या फिर लाठी जैसा ।
यही दशा हमारी उस बक्त होती है जब हम अपने पुराने इतिहास को खंगाल रहे होते है।हमको जो लेखक बताने बाला होता है बस हम बही देखओर सोच पाते है।
महात्मा गांधी,अहिंसा के पुजारी,भारतीय स्वतंत्रता के सूत्रधार, राष्ट्रपिता बापू आदि आदि।बापू के नाम के आगे कितनी भी उपाधिया लगाइये कम है।
परंतु प्रश्न ये उठता है कि क्या बापू के सिवाऔऱ जो बाकी क्रांतिकारी थे क्या उनका प्रयास व्यर्थ था।
महात्मा गांधी जी ने कई प्रमुख आंदोलन ऐसे चलाये जिन्हें उन्होंने परिणाम तक पहुचने से पहले ही वापस लिया ।जैसे कि सविनय अवज्ञा आंदोलन ,असहयोग आंदोलन आदि आदि ।ये आन्दोलन ऐसे थे जिसने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया था।
जब भारतीय जनता का जोश चरम पर होता तभी गांधीजी आंदोलन वापस ले लेते जिसका एक प्रमुख कारण था गांधी जी अहिंसावादी थे और बो हिंसा का बिल्कुल भी सहारा नही लेना चाहते थे ।जिसके फलस्वरूप जब जनता इन आंदोलन के कारण जब उग्र हो जाती और आंदोलन हिंसात्मक हो जाता उस से पहले ही गांधीजी आंदोलन वापस ले लेते थे।
चलिये ये तो प्रमाणित हुआ कि गांधी जी अति अहिंसात्मक मानव थे,पर फिर भी उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के समय भारतीय युवाओं को सेना में भर्ती होने के लिए क्यो प्रेरित किया।क्या वो युवाओ को हिंसा की तरफ नही दखेल रहे थे।