ग़ुजरा साल पुराना
नई-नई सौगातें देकर,
ग़ुजरा साल पुराना ।
नोटों को भी बंद करा कर ,
बाजारों को मंद करा कर ।
नयी व्यवस्था की कोशिश में,
तुगलकी फ़रमान दिला कर ।
हट्टे – कट्टे सैनिक लेकर ,
ग़ुजरा साल पुराना ।
काले को भी श्वेत बनाकर,
और श्वेत को काला करके ।
बैंकों में लाइन लगवाकर ,
जीजा को भी साला करके ।
मँहगाई का थप्पड़ देकर,
ग़ुजरा साल पुराना ।
पल भी ग़ुजरे,क्षण भी ग़ुजरे,
ग़ुजर गए घंटे और दिन भी ।
लंबी – लंबी रातें ग़ुजरीं ,
करवट बदली, दुनियाँ बदली।
अच्छे दिन का झाँसा देकर,
ग़ुजरा साल पुराना ।
फिर भी मित्रो, चले-चलो तुम,
आगे-आगे , बढ़े चलो तुम ।
आशाओं की पगडंडी पर ,
पग बस अपने धरे चलो तुम ।
खट्टे-मीठे अनुभव देकर ,
बनता समय सुहाना ।
ईश्वर दयाल गोस्वामी ।
कवि एवम् शिक्षक ।