Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 1 min read

ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI

ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
ज़माने से शिकायतें नहीं करता बस मुस्कुरा देता हूंII
शिव प्रताप लोधी

40 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from शिव प्रताप लोधी
View all
You may also like:
दिल कि गली
दिल कि गली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"कर्म का मर्म"
Dr. Kishan tandon kranti
तूं मुझे एक वक्त बता दें....
तूं मुझे एक वक्त बता दें....
Keshav kishor Kumar
20)”“गणतंत्र दिवस”
20)”“गणतंत्र दिवस”
Sapna Arora
जिस बस्ती मेंआग लगी है
जिस बस्ती मेंआग लगी है
Mahendra Narayan
2325.पूर्णिका
2325.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
इस दुनिया की सारी चीज भौतिक जीवन में केवल रुपए से जुड़ी ( कन
इस दुनिया की सारी चीज भौतिक जीवन में केवल रुपए से जुड़ी ( कन
Rj Anand Prajapati
अंदाज़े शायरी
अंदाज़े शायरी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
■ ये हैं ठेकेदार
■ ये हैं ठेकेदार
*प्रणय प्रभात*
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
खुद को परोस कर..मैं खुद को खा गया
सिद्धार्थ गोरखपुरी
2
2
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*नहीं पूनम में मिलता, न अमावस रात काली में (मुक्तक) *
*नहीं पूनम में मिलता, न अमावस रात काली में (मुक्तक) *
Ravi Prakash
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति के लिए आकाश की ऊंचाई नापना भी उ
Paras Nath Jha
हिन्दी ग़ज़लः सवाल सार्थकता का? +रमेशराज
हिन्दी ग़ज़लः सवाल सार्थकता का? +रमेशराज
कवि रमेशराज
84कोसीय नैमिष परिक्रमा
84कोसीय नैमिष परिक्रमा
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
ना कर नज़रंदाज़ देखकर मेरी शख्सियत को, हिस्सा हूं उस वक्त का
SUDESH KUMAR
Them: Binge social media
Them: Binge social media
पूर्वार्थ
Jeevan ka saar
Jeevan ka saar
Tushar Jagawat
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
Ranjeet kumar patre
चरित्र राम है
चरित्र राम है
Sanjay ' शून्य'
वस हम पर
वस हम पर
Dr fauzia Naseem shad
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
SUNIL kumar
आँखों में अँधियारा छाया...
आँखों में अँधियारा छाया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
चार मुक्तक
चार मुक्तक
Suryakant Dwivedi
*हथेली  पर  बन जान ना आए*
*हथेली पर बन जान ना आए*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
17== 🌸धोखा 🌸
17== 🌸धोखा 🌸
Mahima shukla
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
एक विचार पर हमेशा गौर कीजियेगा
शेखर सिंह
अपना गाँव
अपना गाँव
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
Kavita
Kavita
shahab uddin shah kannauji
समाज सेवक पुर्वज
समाज सेवक पुर्वज
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Loading...