— ग़दर 2 —
सिर्फ यह फिल्म है..फिल्म , अगर इतना ही दम है यह सब दिखाने का तो एक बार सन्नी देवोल को पाकिस्तान भेज के सैर करवा दो.. अपने घर में या अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है, यही सुना था आजतक…
हम हिंदुस्तान के लोग ऐसे ही ख्याली पुलाव पका पका कर ख़ुद को खुश करते रहते है, सांसद बन जाने के बाद चार साल में ग़दर 2 तो बना ली, पर बंदा एक बार भी अपने उस स्थान पर नहीं गया , जहा से सांसद बना था , न जाने क्यूँ यह पार्टी के लोग , जनता का बेवकूफ बनाने के लिए ऐसे ऐसे नौसिखिओं को सांसद बना देते है, यह रटे रटाए शब्द तो बोल सकते हैं, क्योंकि इनका लालन पालन ही डाइरेक्टर के द्वारा हुआ था, तो इनको किसी की पीड़ा का एहसास क्या होगा ! इन को यह तो पता होता है, कि इनका चुनाव फिल्म में रोल करने के आधार पर किया गया है, इस लिए जनता ने सांसद बनाया है ! न की इस कारण से की तुम बेफिक्र होकर सो जाओ, दुनिआ अपनी समस्याओं को लेकर किसी दुसरे का दरवाजा खटखटाये
न जाने क्यूँ पार्टी ऐसे लोगों पर पैसा व्यर्थ करती है, बड़ा दुःख होता है यह देखकर की पैसे का मोल शायद पार्टी के लोग भी नही जानते , इसी लिए पैसा व्यर्थ करते हैं ! अच्छे काम तो होते नहीं, ऐसे ऐसे काम होते है, जिस से जनता भड़कती रहे – बस !
फिल्म को बस फिल्म के नजरिये से देखो, अगर असलियत में सन्नी में ताकत है तो एक बार बॉर्डर पर जाकर अपनी ताकत दिखाए, इन बेवकूफों के चक्कर में पढ़कर लोग खुद को ताकतवर समझने लग जाते है, यह बस अपने पैसे के खेल में माहिर है, यह और इनके जज्बात दुनिआ में भड़काने के काम करते हैं, है क्या इस में हिम्मत है , जो यह दुसरे देश से हैंड पम्प उखाड़ के ले आएगा, या उनकी सर जमीं पर जाकर आक्रमण कर देगा, मात्र पैसा कमाना इनका उद्देशय है, और सीधी साधी जनता इनके ख्यालात मन में लेकर उस चीज को अंजाम देती है ! और आपसे में ही आक्रमकता का रूक अपना लेती है ! सब बकवास है, सब बकवास, किसी को अपनी फिल्म हिट करनी है, किसी को अपनी टी आर पी बढ़ानी है ! इस से ज़्यादा और कुछ नहीं है !
अजीत कुमार तलवार
मेरठ