*ग़ज़lवतरण*
#हिंदी_ग़ज़ल-
■ समय का चारण।।
【प्रणय प्रभात】
– कोई कारण।
नहीं अकारण।।
– जो मारण है,
वो ही तारण।।
– जीवन क्या है?
सांसों का रण।।
– शक्ति शब्द की,
बस उच्चारण।।
– धर्म वही जो,
कर लें धारण।।
– सृष्टि विशिष्ट,
जीव साधारण।।
– सत्य सनातन,
भव-उद्धरण।।
– सतत साधना,
निज संधारण।।
– सृजक सदैव,
समय का चारण।।
#आत्मकथ्य-
केवल दो बातें बताना चाहता हूँ। पहली यह कि इससे “छोटी बहर” मेरे संज्ञान में नहीं। दूसरा सत्य यह कि इसमें पांच शेर अचेतन अवस्था अर्थात नींद में हुए। विश्वास कर पाएं तो करें।
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