ग़ज़ल __ “है हकीकत देखने में , वो बहुत नादान है,”
बह्र __ 2122 2122 2122 212,,
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ग़ज़ल
1,,
है हकीकत देखने में , वो बहुत नादान है,
हां ,मगर सारे जहां में मिल रहा सम्मान है । मतला
2,,
उम्र भर की नेकियाँ , हालात से डरता न था ,
अब अज़ीज़ो की नज़र में बन गया भगवान है।
3,,
ढूंढने निकले सभी जब बादशाही शख़्स को,
जिसको समझा सबने अच्छा,इक वही गुणवान है।
4,,
वक्त का चक्कर चला जब,घिर गई सारी दिशा,
सुर्ख़ दुनिया हो गई , शायद यही तूफ़ान है ।
5,,
ज़िंदगी भर की कमाई,हाथ से जाती दिखी ,
दर्द की शिद्दत से आखिर रो पड़ा, इंसान है।
6,,
ज़िंदगी भर की कमाई,हाथ से जाती दिखी ,
दर्द की शिद्दत से आखिर रो पड़ा, इंसान है।
7,,
जाति धर्मों से बड़ा रिश्ता सभी का है यहां ,
कहते जन्नत,इस ज़मीं की “नील” भी मेहमान है।
✍️नील रूहानी ,,,, 05/06/2024,,,
( नीलोफर खान)