ग़ज़ल __बुलबुलें खुश बहार आने से ।
गज़ल
1,,
बुलबुलें खुश बहार आने से ,
बाग महका है गुल खिलाने से ।
2,,
आंख जब देखती हो हरियाली ,
नूर आता नज़र मिलाने से ।
3,,,
चांद अपने उरूज पर आया ,
रौशनी देख आशियाने से ।
4,,,
लुट रही है जहान की दौलत ,
क्या मिली है तुम्हें भी जाने से ।
5,,,
लौट आओ कि याद आती है,
तुम को देखा नहीं ज़माने से ।
6,,,
दोस्तों तुम अज़ीज़ हो मुझको ,
साथ छोड़ें न हम, छुड़ाने से ।
7,,,
‘नील’ खामोश क्यूँ हुई हो तुम,
प्यार मिलता है मुस्कुराने से ।
✍नील रूहानी ,,05/10/2024,,,
( नीलोफ़र खान )