ग़ज़ल _ वफ़ा के बदले , वफ़ा मिलेगी ।
बह्र_ 121 22 121 22
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ग़ज़ल
1,,,
वफ़ा के बदले , वफ़ा मिलेगी,
जफ़ा के बदले , जफ़ा मिलेगी ।
2,,,
सुबह सवेरे जो ,घर से निकलो,
तो मुस्कुराती , सबा मिलेगी ।
3,,,
क़दम रखो, फूंक फूंक कर तुम,
भला करोगे , दुआ मिलेगी ।
4,,,
ये वक्त काफ़िर को,क्या कहें हम,
गलत करोगे , सज़ा मिलेगी ।
5,,,
हकीकतों से , नहीं हो वाकिफ ,
अमीर है तो , अना मिलेगी ।
6,,,
मिलो गरीबों से , जब भी यारों ,
तो उनके घर से , सना मिलेगी ।
7,,,
खयाल अपना , दुरुस्त रक्खो ,
जगह जगह पर , नफ़ा मिलेगी ।
8,,,
कभी कहीं ढूंढना हो , हमदम,
वो “नील” सी, हमनवा मिलेगी।
✍️नील रूहानी ,,,31/10/23,,,
( नीलोफर खान )