ग़ज़ल _ मुहब्बत में मुहब्बत से ,मुहब्बत बात क्या करती,
एक ताज़ा ग़ज़ल,,,🌹💖
दिनांक _ 15/07/2024,,,
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#ग़ज़ल
1,,
मुहब्बत में मुहब्बत से ,मुहब्बत बात क्या करती,
वो बैठी थी इसी धुन में , नई शुरुआत क्या करती ।
2,,
मुहब्बत करने वाले भी , निभाना भूल जाते हैं ,
भरोसा टूट जाता जब, तो ये सौगात क्या करती ।
3,,
बिना समझे बिना बूझे , ज़माना क्या नहीं कहता ,
लगे जो सर पे उसके थे ,वो ये तुहमात क्या करती।
4,,
नसीबा जब चमकता है , सितारे गोद में होते ,
उसी से दिल हुआ रौशन ,तो फिर जज़्बात क्या करती ।
5,,
खुदा ने उसको बख्शी है, जहां भर की सभी नेअमत ,
जो मिलते है नियामत में ,वही दरजात क्या करती ।
6,,
कभी पहना नहीं सोना ,कहा जब ‘नील’ से उसने ,
नज़र खोकर बुढ़ापे में , सुनहरे दांत क्या करती ।
✍️नील रूहानी,,,15/07/2024,,,,,,
( नीलोफर खान)