Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Aug 2024 · 1 min read

ग़ज़ल _ मुसाफ़िर ज़िंदगी उसकी , सफ़र में हर घड़ी होगी ,

#ग़ज़ल
दिनांक _09/08/2024,,,
बह्र ,,,, 1222 1222 1222 1222
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
💖 ग़ज़ल 💖
1,,,
मुसाफ़िर ज़िंदगी उसकी , सफ़र में हर घड़ी होगी ,
जहां तक सांस चलती है, वहीं तक रुक सकी होगी।
2,,,
अभी कुछ ख्वाहिशें बाक़ी, ज़माने की ज़रूरत है ,
करे किससे शिकायत वो , गुज़ारा कर रही होगी ।
3,,,
मिला होगा सजन प्यारा, नसीबा जागता होगा ,
खनकती चूड़ियों के सँग , परी सी महजबी होगी ।
4,,,
नहीं मालूम था अंजाम, क्या होगा ज़माने में ,
चली होगी वो तन्हा रूह महफ़िल रो पड़ी होगी ।
5,,,
बुलाएगी वो बागों में , मैं सरपट दौड़ जाऊंगा ,
गुलों से खेलती होगी , यकीनन वो कली हाेगी।
6,,,
तसव्वुर गुल खिला बैठा , नमी से भर गई आँखें,
कभी जब “नील” मिल जाए ,तो शामें शबनमी होगी ।

✍️ नील रूहानी,,, 09/08/2024,,,
( नीलोफर खान )
******************************************

78 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं (गीत)*
*पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं (गीत)*
Ravi Prakash
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
Kshma Urmila
*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
VEDANTA PATEL
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
ਅੱਜ ਕੱਲ੍ਹ
Munish Bhatia
■ और एक दिन ■
■ और एक दिन ■
*प्रणय*
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
कच्चे मकानों में अब भी बसती है सुकून-ए-ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं मजहबी नहीं
मैं मजहबी नहीं
VINOD CHAUHAN
आप जीवित इसलिए नही है की आपको एक दिन मरना है बल्कि आपको यह ज
आप जीवित इसलिए नही है की आपको एक दिन मरना है बल्कि आपको यह ज
Rj Anand Prajapati
कारगिल युद्ध के समय की कविता
कारगिल युद्ध के समय की कविता
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
देख बहना ई कैसा हमार आदमी।
देख बहना ई कैसा हमार आदमी।
सत्य कुमार प्रेमी
जिंदगी हमें किस्तो में तोड़ कर खुद की तौहीन कर रही है
जिंदगी हमें किस्तो में तोड़ कर खुद की तौहीन कर रही है
शिव प्रताप लोधी
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
निष्काम,निर्भाव,निष्क्रिय मौन का जो सिरजन है,
ओसमणी साहू 'ओश'
" नैना हुए रतनार "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
वक्त की चोट
वक्त की चोट
Surinder blackpen
2848.*पूर्णिका*
2848.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"जख्म"
Dr. Kishan tandon kranti
बेख़ौफ़ क़लम
बेख़ौफ़ क़लम
Shekhar Chandra Mitra
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दीपावली पर बेबहर गज़ल
दीपावली पर बेबहर गज़ल
मधुसूदन गौतम
आस्था का महापर्व:छठ
आस्था का महापर्व:छठ
manorath maharaj
आहवान
आहवान
नेताम आर सी
दहेज ना लेंगे
दहेज ना लेंगे
भरत कुमार सोलंकी
स्वप्न
स्वप्न
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिसे रिश्तों की परवाह नहीं वो,,
जिसे रिश्तों की परवाह नहीं वो,,
पूर्वार्थ
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
लेकिन कैसे हुआ मैं बदनाम
gurudeenverma198
कितना कुछ सहती है
कितना कुछ सहती है
Shweta Soni
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
रंगों का कोई धर्म नहीं होता होली हमें यही सिखाती है ..
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
"गिराने को थपेड़े थे ,पर गिरना मैंने सीखा ही नहीं ,
Neeraj kumar Soni
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
इशरत हिदायत ख़ान
Loading...