ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
ग़ज़ल
बह्र _ 212 212 1222
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1,,
पास आकर गले लगा लेना,
ज़िंदगी यूँ ही तुम मना लेना ।
2,,
साँस रुकती नहीं सनम मेरे ,
तुम ही आना इसे रुका लेना ।
3,,
चाँद शिकवा करे तो क्या करना,
रुक के रिश्ता ज़रा निभा लेना ।
4,,
ग़म में डूबी हैं कश्तियाँ दिलबर ,
दस्त-गीरी से तुम बुला लेना ।
5,,
गर मिले तुमको संदली जोड़ा,
अपने माथे उसे सजा लेना ।
6,,
रूठ जाए जो ज़िन्दगी तेरी ,
इक ग़ज़ल प्यार से सुना लेना ।
7,,
नाम लिख दी है ज़िंदगी साक़ी,
मयकशी “नील” भर पिला लेना ।
✍️नील रूहानी,,,26/10/2024,,,
( नीलोफर खान)