ग़ज़ल _ करी इज़्ज़त बड़े छोटों की ,बस ईमानदारी से ।
एक ताज़ा ग़ज़ल,, आपकी नज़र 💖🥰
दिनांक _ 08/07/2024,,,
बह्र ….1222 1222 1222 1222 ,,,
क़ाफिया _ आरी /// रदीफ़ _ से ,,
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#ग़ज़ल
1,,,
करी इज़्ज़त बड़े छोटों की ,बस ईमानदारी से ,
हमेशा ज़िंदगी जी हमने , अपनी ख़ाकसारी से। मतला
2,,,
मियां खातिर निखारा , हुस्न को भी पारदारी से ,
हुई हासिल खुशी, निकहत-ए -बाद-ए-नौ-बहारी से । हुस्न ए मतला
3,,,
गमों को रख नहीं पाती कभी भी अपनि कुरबत में,
मुझे फ़ुरसत कहाँ मिलती , यहाँ तीमारदारी से ।
4,,,
सुनाओ मत मुझे वो बात , आँसू घेर लेते हैं ,
बड़ी तकलीफ़ होती ,दिल को भी गिरियावज़ारी से ।
5,,,
न देखा आव देखा ताव , चढ़ते ही गए मंज़िल ,
हुई फिर जीत यारों आज , इस नक्शा निगारी से ।
6,,,
लदा है बाग़ आमों से , उड़ी खुशबू नियामत सी ,
खिले हैं फूल मैं ले लूं , तेरी इक इख्तियारी से ।
7,,,
ग़ज़ल कह कर जो मक़्ता “नील” कहती इस तरह यारों।
मिला अब तक नहीं उसको , जो मिलता इश्तिहारी से ।
✍️नील रूहानी,,08/07/2024,,,,
( नीलोफर खान )
शब्दार्थ ___
ख़ाकसारी _ विनम्रता ,,
गिरियावज़ारी _ रोना – धोना, मातम ,,
इश्तिहारी _ विज्ञापित,,,,
पारदारी _ शफ्फ़ाफ़ तरीक़े से ,,, पारदर्शी,,
इख्तियारी _ अधिकार ……
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