ग़ज़ल _क़सम से दिल में, उल्फत आ गई है ।
ग़ज़ल
बह्र _ 1222 1222 122
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1,,
क़सम से दिल में, उल्फत आ गई है ,
जो ठहरी थी , वो चाहत आ गई है ।
2,,
उलझते थे कभी हम भी सजन से ,
अभी लेकिन , शराफ़त आ गई है।
3,,
बहुत सख़्ती थी, जिनमें ज़िंदगी भर,
नसीबों से , नज़ाकत आ गई है।
4,,
समझते थे जिसे, कम अक्ल यारों ,
मुकद्दर से , ज़हानत आ गई है ।
5,,
कभी देखा था, तुमको ख़्वाब में ही ,
तुम्हारी शक्ल , राहत आ गई है ।
6,
परी जो आ गई थी , घर हमारे,
उसी की ये , शबाहत आ गई है ।
7,,
पसँद आई मेरी , गुड़िया किसी को ,
तभी तो “नील”, निस्बत आ गई है ।
✍️नील रूहानी,,,10/07/2024,,,
( नीलोफर खान )