#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ मेरी हसरत रहन रख ले।।
[प्रणय प्रभात]
ज़ुबां रख ले, दहन रख ले।
वही तेवर कुहन रख ले।।
बड़ी बदज़ात दुनिया है।
ज़रा दिल में ज़हन रख ले।।
दिवारें ठीक हैं, छत भी।
मगर थोड़ा सहन रख ले।।
महाजन वक़्त का है तू।
मेरी हसरत रहन रख ले।।
नुमाइश में सजा देना।
ले मेरे पैरहन रख ले।।
बचा ले चांद-सूरज को।
तू क़ाबू में गहन रख ले।।
👌👌👌👌👌👌👌👌👌
#शब्दार्थ-
दहन- मुंह, कुहन-पुराना, बदज़ात- असभ्य, ज़हन- दिमाग़, सहन- आंगन, रहन- गिरवी, नुमाइश- प्रदर्शनी, पैरहन-वस्त्र, गहन- ग्रहण।
●संपादक न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्य-प्रदेश)