ग़ज़ल
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सही बात है वो हमारा नहीं है।
मगर एक सच ये गँवारा नहीं है।।
चला वो गया है भले ज़िंदगी से,
रहें साथ यादें खसारा नहीं है।
बना बेवफा तोड़ करके तवक्को,
ज़हन से उसे पर उतारा नहीं है।
मुआफी उसे दी यही सोच करके,
फरिश्ता नहीं वो सितारा नहीं है।
रहे डूबते लोग इश्क़-ए-समंदर,
भँवर है जहाँ पर किनारा नहीं है।
हमेशा रहा है खुदा साथ उसके,
जिसे इस जहाँ का सहारा नहीं है।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय