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29 Nov 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

122 122 122 122
सही बात है वो हमारा नहीं है।
मगर एक सच ये गँवारा नहीं है।।

चला वो गया है भले ज़िंदगी से,
रहें साथ यादें खसारा नहीं है।

बना बेवफा तोड़ करके तवक्को,
ज़हन से उसे पर उतारा नहीं है।

मुआफी उसे दी यही सोच करके,
फरिश्ता नहीं वो सितारा नहीं है।

रहे डूबते लोग इश्क़-ए-समंदर,
भँवर है जहाँ पर किनारा नहीं है।

हमेशा रहा है खुदा साथ उसके,
जिसे इस जहाँ का सहारा नहीं है।।

डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
41 Views

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