ग़ज़ल
(1)
तुम गले से न लगाओ तो कोई बात नहीं
और ऑंखें भी चुराओ तो कोई बात नहीं
(2)
नाम ले ले के तुम्हारा मैं गुज़ारूँगा दिन
तुम मुझे भूल भी जाओ तो कोई बात नहीं
(3)
मैं तो आ जाऊँगा अंगारों पे भी चलके मगर
तुम ही वादे पे न आओ तो कोई बात नहीं
(4)
मैं तुम्हारा हूँ सनम सिर्फ़ तुम्हारा हूँ सनम
दूरियाँ फिर भी बढ़ाओ तो कोई बात नहीं
(5)
इक दफ़ा कह दो ये के मैं भी तुम्हारी हूँ फिर
चाहे जितना भी सताओ तो कोई बात नहीं
(6)
मैंने दुनिया से कहा तुम ही मेरे हमदम हो
मुझको तुम ग़ैर बताओ तो कोई बात नहीं
(7)
मुन्तज़िर हूँ कि दवा दोगे मुझे तुम प्रीतम
फिर भी तुम दर्द बढ़ाओ तो कोई बात नहीं
प्यार की बात करूँ तो भी तुनक जाते हो
तुम अगर दिल भी दुखाओ तो कोई बात नहीं
गिरह——
प्रीतम श्रावस्तवी