ग़ज़ल
तुम मुझे ईनाम दे दो,
बेवफ़ा का नाम दे दो।
हो गया बीमारे गम मैं,
सबको ये पैगाम दे दो।
इश्क़ का आगाज़ हूँ मैं,
तुम उसे अंजाम दे दो।
तुम पिला दो आज साक़ी,
मय भरा इक ज़ाम दे दो।
‘दीप’ बन जलता रहूँगा,
एक धुंधली शाम दे दो।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव
तुम मुझे ईनाम दे दो,
बेवफ़ा का नाम दे दो।
हो गया बीमारे गम मैं,
सबको ये पैगाम दे दो।
इश्क़ का आगाज़ हूँ मैं,
तुम उसे अंजाम दे दो।
तुम पिला दो आज साक़ी,
मय भरा इक ज़ाम दे दो।
‘दीप’ बन जलता रहूँगा,
एक धुंधली शाम दे दो।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव