ग़ज़ल
ग़ज़ल = ( 25 )
बह्र ÷÷ 2122 2122 212
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
काफ़िया ÷÷ आने /// रदीफ़ ÷÷ में है
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ग़ज़ल
1,,
दुल्हनों की जान, शरमाने में है ,
मिल रही खुशियाँ, जो नज़राने में है।
2,,
लिखते लिखते , नींद ने हैरां किया ,
डायरी दिलदार , सिरहाने में है ।
3,,
कर दिया बेहाल , ऐसा भी नशा ,
यार की नज़रों के , पैमाने में है।
4,,
पढ़ते पढ़ते रो दिए , क्या दर्द था ,
दिल को दहलाया,जो अफ़साने में है ।
5,,
कह गया वो शख़्स ,था जो ग़मज़दा
दुश्मनों का दिल , तो उकसाने में है।
6,,
खुशबुएं भी याद हैं सारी मुझे ,
माँ के हाथों की महक खाने में है ।
7,,
कैसे ये मसरूर हो दिल “नील” का ,
सोचते हम , उनको बहलाने में है।
✍️नील रूहानी ,,, 09/05/2024,,,,,,🥰
( नीलोफर खान ,,स्वरचित )