ग़ज़ल
ग़ज़ल = ( 15 )
बह्र….1222 1222 1222 1222,,,
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
क़ाफिया _ हों // रदीफ़ _ से होती है,,
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ग़ज़ल
1,,
मुहब्बत जिस्म से होती नहीं, रूहों से होती है,
मुहब्बत पाक रिश्ता है, बयां चेहरों से होती है।
2,,
जहां इंसां नहीं रहते ,वहां फ़रियाद क्या करना ,
सिमटना तुम भी मिट्टी में ,खुशी ज़र्रों से होती है।
3,,
बहकना हो चले जाना,किसी दरिया के साहिल पे ,
उछलना कूदना उनमें, निदा लहरों से होती है ।
4,,
न गम करना, कभी अपने पराए से उलझना मत,
भुला दें सब ,न घबराना , गुज़र यारों से होती है।
5,,
अँधेरे तोड़ दोगे जब , उजाले खुद ही आयेंगे ,
चिरागों से न मिलती जो ,वही शोलों से होती है।
6,,
मसर्रत चाहते हो गर, मिलेगी हर तरफ़ तुमको ,
हकीकत जानना है “नील”,तो लहजों से होती है।
✍️नील रूहानी ,,,, 23/01/2024,,,,,,,,,,🥰
( नीलोफर खान, स्वरचित )