ग़ज़ल
ग़ज़ल = ( 14 )
बह्र __1222 1222 1222 1222,,
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
क़ाफिया _ आन // रदीफ़ _ दे दूंगी ,
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ग़ज़ल
1,,
तुम्हारी मुस्कुराहट पे मैं अपनी जान दे दूंगी ,
गिरफ़्तारी हो मुजरिम की वहीं फ़रमान दे दूंगी।
2,,
मैं उनके साथ जाऊंगी जिन्हें चाहत रही मुझसे ,
क़सम खाकर ये कहती मैं सभी अरमान दे दूंगी।
3,,
खुशी बढ़ जाएगी मेरी नज़र में जब वो आयेंगे,
गुलाबी होंठ की खातिर मैं उनको पान दे दूंगी।
4,,
अगर तुम इल्म से हो दूर तो बिलकुल न घबराना ,
सिखाने के लिए तहज़ीब इक हमदान दे दूंगी ।
5,,
निकाला है तुम्हें घर से विदेशी कह के मारा है ,
हुं धरती माँ तेरी , बेटा ! नई पहचान दे दूंगी ।
6,,
फिकर करना नहीं कोई खुदा रहमत में रक्खेगा,
तुम्हारे रूबरू आ “नील” सौ नौमान दे दूंगी ।
✍️नील रूहानी ,,, 14/05/2024,,,,,,,,,,🥰
( नीलोफर खान )