ग़ज़ल
ग़ज़ल = ( 10 )
बह्र __ 1222-1222-122
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
काफ़िया _ आएं // रदीफ़ _ गैर मुरद्दफ़
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ग़ज़ल
1,,,
नयन आपस में , मिल कर मुस्कुराएं,
खुशी के पल , तुम्हें हर पल रिझाएं ।
2,,,
अजी महफ़िल में हम सबको बुलाएं,
मिठाई सब के सँग, खुद को खिलाएं ।
3,,,
सदा घर में रहेगी , बादशाहत ,
सहन में गुल ,कभी ऐसे खिलाएं ।
4,,,
दिलों में नूर जैसी , रौशनी हो ,
खुशी घर भर को अपनी यूं सुनाएं ।
5,,,
चमन वीरां न होगा फिर कभी ये ,
दुआएँ दे रही हैं ये फिज़ाएं ।
6,,,
करें कुछ बात यारों से नई सी ,
उन्हें भी आज दिल भर कर हँसाएं ।
7,,,
लगे जब आप को दुश्वारियां सी ,
शराफ़त “नील” की ,बस देख आएं ।
✍️नील रूहानी ,, 18/04/2024,,,,🥰
( नीलोफर खान, स्वरचित )