ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
ग़ज़ल
नाम जबसे तुम्हारा बरण कर लिया
मैंने भी वैसा ही आचरण कर लिया।
अब सताते नहीं हैं अँधेरे कभी
अपने मन को ही हमने किरण कर लिया।
सीख ली मैंने पढ़कर तुम्हारी ग़ज़ल
हर्फ़ दर हर्फ़ का अनुकरण कर लिया
हैं अधूरे मिरे ख़्वाब जो अब तलक
पूर्ण करने को अंतःकरण कर लिया
रागिनी है ग़ज़ल ज़िन्दगी से भरी
ख़ुशनुमा सारा वातावरण कर लिया
डॉक्टर रागिनी शर्मा,इंदौर