ग़ज़ल (जब भी मेरे पास वो आया करता था..)
जब भी मेरे पास वो आया करता था..
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जब भी मेरे पास वो आया करता था।
मौसम ख़ुशगवार हो जाया करता था।।
ख़्वाबों में अक्सर पहरों बतियाते हम।
रातों को मेरी महकाया करता था।।
नाम ज़ुबां पर आते ही मैं खिल जाती।
रोम-रोम मेरा मुस्काया करता था।।
मैं उसके अन्दाज़े मुहब्बत की कायल।
वो मेरी ज़ुल्फ़ें सुलझाया करता था।।
दिल में उसके धड़कन बनकर मैं रहती।
वो मुझ पर संसार लुटाया करता था।।
दिल में रहकर भी आँखों से था ओझल।
दिन-दिन भर मुझको तड़पाया करता था।।
पायल,झुमके बिछिया “रागिनी” को पहना।
नाज़ और नख़रे ख़ूब उठाया करता था।।
डॉक्टर रागिनी शर्मा,इंदौर
इन्दौर