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7 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल -🙂
काफ़िया तुकांत -आम
रद़ीफ पदांत -रह गया/रह गई

लुभावने वादों का तकिया कलाम रह गया
वोटर को बहलाना बस यही काम रह गया।

झूठी शान, वाह-वाही में शामिल हैं वो
नेताओं का सिंहासन सत्ता धाम रह गया।

सुर्ख़ियों में छाए हैं देखिए ग़ज़ब बहरूपिए..
सच्चा राष्ट्रभक्त सेवक तो गुमनाम रह गया ।

सच्चा ईमानदार बेबस मरहूम सा ताकता…
कुर्सी पर काबिज़ बस नमक-हराम रह गया।

नियम -कानून का मखौल उड़ाते दबंग लोग
संविधान, न्याय व्यवस्था का कोरा नाम रह गया।

योगमाया शर्मा
कोटा राजस्थान

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