ग़ज़ल
ग़ज़ल -🙂
काफ़िया तुकांत -आम
रद़ीफ पदांत -रह गया/रह गई
लुभावने वादों का तकिया कलाम रह गया
वोटर को बहलाना बस यही काम रह गया।
झूठी शान, वाह-वाही में शामिल हैं वो
नेताओं का सिंहासन सत्ता धाम रह गया।
सुर्ख़ियों में छाए हैं देखिए ग़ज़ब बहरूपिए..
सच्चा राष्ट्रभक्त सेवक तो गुमनाम रह गया ।
सच्चा ईमानदार बेबस मरहूम सा ताकता…
कुर्सी पर काबिज़ बस नमक-हराम रह गया।
नियम -कानून का मखौल उड़ाते दबंग लोग
संविधान, न्याय व्यवस्था का कोरा नाम रह गया।
योगमाया शर्मा
कोटा राजस्थान