ग़ज़ल
भला बस्ती कहां है वो,
जहां इंसान रहते हैं।
जहां इक साथ में हिन्दू व
मुसलमान रहते हैं।।
हमारे दरमियां ये जो
बढ़े हैं फासले हमदम।
हमारे बीच में आकर
केअब शैतान रहते हैं।।
हकीकत है ये इन्हें ख्वाब में
भी ख्वाब न समझो।
हमारी ही ज़हालत से,
चमन बीरान रहते हैं।।
चलो चलकर बनाये हम,
नशेमन अब सितारों में।
कहां नफरत के साये में
भला इंसान रहते हैं।।
फना हो जायेगें” पूनम”
मिटेगी अपनी हस्ती भी।
सरायों में हमेशा कब,
भला मेहमान रहते हैं।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव पूनम