ग़ज़ल
मैंने जिसे लिखा था बड़ा देखभाल के
रखा है उसे तुमने अभी तक सँभाल के
एक काम मेरा इतना सा ही था कि तुम मिलो
रखा है उसे तुमने तो बरसों से टाल के
हो और कुछ, दिखाते हो कुछ और ही मुझे
फ़नकार तुम, है शक़ नहीं कि हो कमाल के
रिश्तों में जो बुने गए हैं इतने सालों से
हम भी हुए शिकार उसी मोहजाल के
अब जाएं किससे अपनी लगाने गुहार हम
सब शेर ही मिले यहाँ गीदड़ की खाल के
माँ बाप को परखने की गलती नहीं करना
माँगोगे तो दे देंगें कलेजा निकाल के
नायाब हीरे मोती पाओगे अश्कों के
यादों को कभी देखना तुम भी खँगाल के
बिटिया की रूखसती का ग़म होता नहीं अब तो
आ जाते हैं अक्सर ही फोन हाल चाल के
दाने की खोज में गए जाने किधर किधर
पंछी मगर कभी थे सभी एक डाल के
इस बार रंग वो नहीं खेलेंगें जो धुल जाए
इस बार हम उड़ाएंगें पैकेट गुलाल के
हो जाए ना कहीं कोई बिमारी,कोई रोग
रखते हो दिल में क्यूँ भला मौसम मलाल के
बाज़ी लगा के जान की,अस्मत बचाई है
लाखों मिसाल हैं यहाँ ऐसे मिसाल के
इंसान की ख्वाहिश की इन्तहा तो देखिए
मुर्गे सभी सहमे हुए हैं,उफ्,,हलाल के