#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
■ आज़ाद कर दिया मैने…
【प्रणय प्रभात- – 】
– एक नाशाद को फिर शाद कर दिया मैंने।
कल उसे क़ैद से आज़ाद कर दिया मैंने।।
– मुझको मालूम है कल हर ज़ुबान पर होगा।
एक किस्सा जिसे रूदाद कर दिया मैंने।।
– ख़्वाब में शोर मचाती थी याद की चिड़िया।
हार के नींद को सय्याद कर दिया मैंने।।
– मेरे अशआर के हर गुल को चमक दे देगा।
ढेर यादों का, जिसे खाद कर दिया मैंने।।
– आदतन दिल ज़रा शीरीं बना लिया उसने।
बेसबब रूह को फ़रहाद कर दिया मैंने।।
– रख दिए बिखरे हुए वर्क़ उठा कर उसने।
वक़्त जिस शख़्स का बर्बाद कर दिया मैंने।।