ग़ज़ल
ग़ज़ल
ये जिंदगी है मेरी इसको नगर न समझों
मैं इश्क़ हूं तुम्हारा मुझे रहगुज़र न समझों ।।
पानी से बह गये है आंसू मेरी आंखों से
ये दिल का मामला है इसको नहर न समझों।।
नादान इक हवा के झोंके से डर गये हम
उड़ते हुए परिंदों को हमसफ़र न समझों ।।
उम्मीद है तुम्हारी अब मुझको जिंदगी में
ये प्यार का सफर है इसे इल्तिज़ा न समझों।।
Phool gufran