ग़ज़ल
रिश्ता नाता भी उसका झूटा है।
बा वफा बन के जिसने लूटा है।
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बे सबब हम खफा नही तुमसे।
दिल भी टूटा भरोसा टूटा है।
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तुम तो कहते थे तन्हा रह लेंगे।
फिर क्यों रोते हो साथ छूटा है।
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वह तो मक्खन मलाई है मेरी।
बहुत पाक़ीज़ा हाथ छूता है।
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कितना मुश्किल बिछड़ के रहना है।
सगीर वह यार जब से रूठा है।
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