ग़ज़ल
किसी भी हाल में हो शान अपनी कम नहीं करते।
हम अपनें दुश्मनों के सामने सर खम नहीं करते।
हकीकत बोल देते हैं सामने जो भी दिखता है।
मोहब्बत जिससे करते हैं सियासत हम नहीं करते।
हमारे पास जितना है हमें उसे पर किनाअत है।
मुकद्दर में नहीं है जो हम उसे पर हम नहीं करते।