#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ जो हासिल कब भाया है?
【प्रणय प्रभात】
●दिल का चैन रूह की ठंडक,
ये अपना सरमाया है।
आती-जाती इस दुनिया में,
किसने साथ निभाया है?
● दिल के रिश्ते दर्द के नाते,
चंद दुआएं कुछ आंसू।
हमने छोटे से जीवन में,
अब तक यही कमाया है।।
● क़द से लंबे क़द से छोटे,
सिर्फ़ उजाला रहने तक।
काली रात अगर हो जाए,
साथ न देता साया है।।
● कसमें-वादे प्यार-मुहब्बत,
जज़्बे सारे हवा हुए।
काग़ज़ के कुछ टुकड़ों ने,
हर रिश्ते को भरमाया है।।
● साथ हवा के बहना सीखो,
या उसका रुख़ मोड़ो तुम।
एक बार फिर वक़्त ने आ के,
आज हमें समझाया है।।
● उम्मीदें सब बेमानी हैं,
हर विश्वास छलावा है।
वो भाया जो मिला नहीं है,
जो हासिल कब भाया है?
● देखो तो कुछ गर्म हवाएं,
साथ धूप के आई हैं।
अंदर सब कुछ सूख चुका है,
बाहर सब मुरझाया है।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)