#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
■ उदास रहती है…!!
【प्रणय प्रभात】
● कोई ख़ुशबू सी पास रहती है।
रूह जिससे शनास रहती है।।
● ख़ूब हीरे जड़े हैं पिंजरे में।
रूहे-बुलबुल उदास रहती है।।
● शब-ए-फ़ुरकत गुज़ार लेता है।
वक़्त से जिसको आस रहती है।।
● तुम ख़लाओं में ढूंढते हो जिसे।
वो मेरे दिल के पास रहती है।।
● मुझ पे मेरे ख़ुदा की रहमत है।
इक किरण आस-पास रहती है।।
● सूखते लब सवाल करते हैं।
मुतमइन सिर्फ़ प्यास रहती है।।
● जिस पे दिल एतबार करता है।
उस से उम्मीद ख़ास रहती है।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)