ग़ज़ल
पास आ जाओ कह रहा उसको
इश्क़ मे क्यों मिले सज़ा उसको।।
प्यार में अब वफ़ा निभा मुझसे
जितने ग़म हैं दिए मिटा उसको।।
इतनी चाहत है क्या बताऊँ अब,
कहता रहता हूँ मैं ख़ुदा उसको।।
मेरे हुज़रे में इक़ जगह उसकी
रोज़ लेता हूँ मैं सुला उसको।।
वो मुझे आजतक न समझी है,
शेर, ग़ज़लों से ये कहा उसको।।
ग़मज़दा ज़िन्दगी हुयी मेरी,
पर कहे दिल न छोड़ना उसको।।
है मुहब्बत भी उससे ऐसी की,
दूर होकर भी सोचता उसको।।
मयंकद्विवेदी