ग़ज़ल
खुशी भी रूठ जाती है तुम्हारे रुठ जाने से।
मुझे मिलती है सब खुशियां तुम्हारे मुस्कुराने से।
तुम्हारा हक है मुझ पर तुम कहो हर बात तुम अपनी।
नहीं है जीतने का मन मजा है हार जाने में।
खुशी भी रूठ जाती है तुम्हारे रुठ जाने से।
मुझे मिलती है सब खुशियां तुम्हारे मुस्कुराने से।
तुम्हारा हक है मुझ पर तुम कहो हर बात तुम अपनी।
नहीं है जीतने का मन मजा है हार जाने में।