ग़ज़ल
——ग़ज़ल——
रूठ जाएगा यूँ प्यार सोचा न था
जीस्त हो जाएगी खार सोचा न था
वो चला जाएगा राह में छोड़कर
बेवफ़ा होगा दिलदार सोचा न था
क्या ख़बर थी मुहब्बत के बदले यहाँ
होगा नश्तर जिगर पार सोचा न था
ज़िन्दगी की जगह वो मुझे मौत की
यूँ कराएगा दीदार सोचा न था
दिल के मसनद पे जिसको बिठाया था वो
होगी ज़ालिम वो सरकार सोचा न था
दर्द आहों फुगां और तन्हाइयाँ
इश्क़ के होंगे किरदार सोचा न था
ये फ़साना मुहब्बत का प्रीतम मेरे
इतना होगा मज़ेदार सोचा न था
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)