मुक्तक
ढूँढता हूँ जिसे यादों के बियाबानों में
बस गया जाके वो गैरों के गुलिस्तानों में
मिल न पाया है सिला कोई दोस्ती का मुझे
बेवज़ह नाम मेरा लिख गया दीवानों में
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)
9559926244
ढूँढता हूँ जिसे यादों के बियाबानों में
बस गया जाके वो गैरों के गुलिस्तानों में
मिल न पाया है सिला कोई दोस्ती का मुझे
बेवज़ह नाम मेरा लिख गया दीवानों में
प्रीतम श्रावस्तवी
श्रावस्ती (उ०प्र०)
9559926244