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24 Aug 2022 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल —

मुहब्बत है अगर हमसे इशारों से जता दीजे।
मरज़ यह बढ़ रहा है देखिये फौरन दवा दीजे ।।

तुम्हें मालूम है ये ज़िंदगी भी चार दिन की है,
फ़कत यह प्यार से कट जाये बस इतनी दुआ दीजे।।

बुरे हालात में कोई मदद गर कर नहीं सकते,
ज़माना क्या कहेगा चार आँसू ही बहा दीजे ।।

मुझे क्या फ़र्क पड़ता है मैं ये दिल हार बैठी हूँ,
छुपा के इसको रखिए या ज़माने को बता दीजे ।।

बड़ी मुश्किल से समझाया दिल-ए- नादान को ममता,
भड़क जायेंगे ये फिर से ,न शोलो को हवा दीजे।।

प्रो. ममता सिंह
मुरादाबाद

(1)

2 Likes · 4 Comments · 198 Views
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