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20 Jun 2022 · 1 min read

ग़ज़ल

#गजल #अवधेश_की_गजल

ग़म की ग़ज़लें सुनाने से क्या फ़ायदा ।
महफ़िलों को रुलाने से क्या फ़ायदा ।

मौज मस्ती नहीं, चार यारों की तो,
महफ़िलों को सजाने से क्या फ़ायदा ।

तोड़ना खेलना, शौक जिसका यहां,
दिल उसी से लगाने से क्या फ़ायदा ।

पाप मन के जहां, साफ़ होते नहीं,
उस नदी में नहाने से क्या फ़ायदा।

काम करना नहीं, जाग कर भी जिसे,
उस हठी को जगाने से क्या फ़ायदा ।

योग कर ध्यान कर, नृत्य कर गीत लिख,
वक्त खाली बिताने से क्या फ़ायदा।

सीख “अवधेश” तू, इल्म सुर ताल का,
बेसुरे गीत गाने से क्या फ़ायदा।

अवधेश कुमार सक्सेना
शिवपुरी, मध्य प्रदेश

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