कोई बिछड़ा याद न आये
इस तन्हाई के कानन से, क्या है कोई मुक्ति बता ।
कोई बिछड़ा याद न आये, ऐसी कोई युक्ति बता ।।
अलसाई है धूप और हम, किसी धुंध में खोये हैं ।
एक अजब धोके में दिल के, लाखों सपने सोये हैं ।
जो आँखों से धुंध हटा दे, ऐसी कोई उक्ति बता…..
कोई बिछड़ा याद न आये…………।।
राहुल द्विवेदी ‘स्मित’