ग़ज़ल होती है
ग़ज़ल
फ़िक्र¹ परवाज़² पे होती है ग़ज़ल होती है
फ़स्ल-ए-गुल ज़ेह्न में बोती है ग़ज़ल होती है
मश्क़³ जब हुस्न-ए-तख़य्युल⁴ को बढ़ाने के लिए
ख़ूं में अश्आर डुबोती है ग़ज़ल होती है
बह्र के धागे में चुन चुन के अदब की मालिन
लफ़्ज़ के फूल पिरोती है ग़ज़ल होती है
दिल के काग़ज़ पे मज़ामीन⁵ उतर आते हैं
बात इल्हाम⁶ जो होती है ग़ज़ल होती है
शब-ए-तन्हाई⁷ के आलम में दिल-ए-मुज़्तर⁸ में
याद नश्तर सा चुभोती है ग़ज़ल होती है
ग़म-ए-हिज्राँ⁹ में तड़पती हुई कोई बिरहन
तकिया अश्कों से भिगोती है ग़ज़ल होती है
कोई मज़लूम¹⁰ पे जब ज़ुल्म-ओ-सितम ढाये ‘अनीस’
दिल में यलग़ार¹¹ सी होती है ग़ज़ल होती है
– अनीस शाह ‘अनीस ‘
1.सोच 2.उड़ान 3.अभ्यास 4.ख़याल का सौंदर्य
5.बिषय 6.वह जो ईश्वर द्वारा मन में डाली जाए 7.अकेलेपन की रात 8.बैचेन दिल 9.वियोग का दुख 10.पीड़ित 11.आक्रमण