डूब जाऊंगा मस्ती में, जरा सी शाम होने दो। मैं खुद ही टूट जाऊंगा मुझे नाकाम होने दो।
डूब जाऊंगा मस्ती में, जरा सी शाम होने दो।
मैं खुद ही टूट जाऊंगा मुझे नाकाम होने दो।
कोई आगे ना बढ़ जाए सभी ने टांग खींचे हैं।
मुझे बदनाम कर लेना कि पहले नाम होने दो।
मोहब्बत के जो किस्से हैं उसे तस्लीम करता हूं।
मेरे महबूब घबराओ ना चर्चा आम होने दो।
मोहब्बत का तमाशा देखने सब लोग आए हैं।
वफाओं को सरे महफिल मगर नीलाम होने दो।
बड़ी दुश्वार राहे हैं मगर तुम हौसला रखना।
अगर आगाज की है तो सगीर अंजाम होने दो।
डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच