ग़ज़ल & दिल की किताब में -राना लिधौरी
ग़ज़ल- दिल की किताब में
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गुस्ताख़ी जो बारिश ने की अपने हिसाब में।
पहली सी वो तपिश न रही आफताब में।।
भौंरे ही चुरा लेते हैं पहले से यहां आकर।
पहली सी वो खुश्बू न रही अब गुलाब में।।
इक बार पढ़के तुम उसे देख लीजिए।
सब कुछ लिखा हुआ है दिल की किताब में।।
नेता, पुलिस और चोर की तो जा़त एक है।
बनते है यही लोग तो हड्डी कबाब में।।
‘राना’ को दीवाना कहे या कहे पागल।
लोगों ने दे दिया है मुझे कुछ तो ख़िताब में।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक-“आकांक्षा” हिंदी पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
*( राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-75 पेज-83 से साभार