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24 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया…)

तुमने जो मिलना छोड़ दिया…
———————///

तुमने जो मिलना छोड़ दिया
हम ने भी सँवरना छोड़ दिया

ग़मगीन बहारों के ग़म में
फूलों ने महकना छोड़ दिया

आते जाते हो ख्वाबों में
सचमुच क्यों आना छोड़ दिया

छत पर जो आना छोड़ दिया
चूड़ी खनकाना छोड़ दिया

जा सोया चन्दा झील में अब
गलियों में भटकना छोड़ दिया

पाकर तुमको इन बाहों में
ये सारा ज़माना छोड़ दिया

लिक्खा जब से ढाई आख़र
सब पढ़ना पढ़ाना छोड़ दिया

डॉ. रागिनी शर्मा,इंदौर
इन्दौर

1 Like · 1 Comment · 98 Views

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