ग़ज़ल गीत तन्हा……., ही गाने लगेंगे।
ग़ज़ल गीत तन्हा……., ही गाने लगेंगे।
मुझे भूलने में…………, ज़माने लगेंगे।
ख़फ़ा हूँ मैं तुमसे, यूँ ही कह दिया बस,
मुझे क्या पता था….? वो जाने लगेंगे।
अगर रेत में अक्स…….., तेरा बनाया,
किनारे नदी के………., लजाने लगेंगे।
मोहब्बत में ऐसी…., रिवायत लिखूँगा,
फ़रिश्ते ज़ुबानी………., सुनाने लगेंगे।
यकीं हौसलों पर…, उड़ानों से ज़्यादा,
सितारे फ़लक पर……, सजाने लगेंगे।
मेरे दर्द की जो…….., सुनी दास्तां गर,
रुके आँसुओं को………, बहाने लगेंगे।
न छू ले कहीं आसमाँ…, ये “परिंदा”,
परों को मेरे वो………, जलाने लगेंगे।
पंकज शर्मा “परिंदा”