*गले में घंटी (छोटी कहानी)*
गले में घंटी (छोटी कहानी)
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डॉ. अग्रवाल ने जैसे ही एक छोटे से माइक पर कॉलोनी निवासियों को कुछ संबोधित करना आरंभ किया , सब लोग सजग हो गए और समझ गए कि कोई महत्वपूर्ण घोषणा आज डॉक्टर अग्रवाल करने वाले हैं । आखिर ऐसा समझना गलत भी तो नहीं था । डॉ अग्रवाल देश के जाने- माने वैज्ञानिक हैं और उनके प्रयोग पूरे देश में चर्चा का विषय बनते हैं।
सब लोगों ने एक दूसरे से दूरी बनाए रखते हुए एकत्र होना आरंभ किया और ध्यान से डॉक्टर अग्रवाल की बात सुनने लगे।
” आज मैंने आपको इसलिए बुलाया है कि हम में से बहुत से लोग अभी भी एक दूसरे से शारीरिक दूरी बनाए रखने अथवा कहिए कि सोशल डिस्टेंसिंग में पूरी तरह सफल नहीं हो पा रहे हैं । कम से कम तीन फीट की दूरी एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति के साथ होनी चाहिए , तभी तो हम इस महामारी से मुकाबला कर सकते हैं ।”-सुनकर सब ने सहमति में अपना सिर हिलाया ।
इसके बाद डॉ अग्रवाल ने अगली बात यह कही ” आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने सोशल डिस्टेंसिंग के मामले में एक अद्भुत खोज कर ली है । मैं आप सब के गले में एक घंटी बाँध दूँगा तथा जैसे ही आप के निकट कोई व्यक्ति आएगा , तत्काल यह घंटी बज जाएगी । जब तक आप किसी से तीन फीट दूर रहेंगे , तब तक यह घंटी नहीं बजेगी । और हाँ ! मैंने इस बात का इंतजाम भी कर दिया है कि 10 साल से कम उम्र वाले बच्चों के ऊपर यह नियम लागू नहीं होगा ।”
सबने सुनकर खुशी के मारे शोर मचा दिया और बहुत बढ़िया – बहुत बढ़िया का स्वर चारों तरफ से गूँज उठा । डॉ. अग्रवाल बोले “किसी को कुछ पूछना हो तो बताएँ। फिर मैं चला जाऊँगा ।”
कॉलोनी में नंबर 6 वाले सुमित कुमार जो सबसे ज्यादा मुखर रहते हैं , बोले “आप तो घंटी हमारे गले में टाँग कर चले जाएँगे और हम उस घंटी के बोझ को कैसे उठा पाएँगे ? न सो पाएँगे और सोते समय भी वह हमारे गले में लटकी रहेगी। यह भी बताइए कि क्या हम उस घंटी को अपने गले से उतार कर एक तरफ रख पाएँगे ? ”
सुनकर अग्रवाल मुस्कुराए । बोले “आपने बिल्कुल सही सवाल पूछा है ।गले में घंटी ,कोई घंटी जैसी चीज नहीं होगी। न हम किसी घंटी को किसी फीते या डोरी से बाँधकर लटकाएँगे बल्कि यह तो एक वैज्ञानिक यंत्र होगा जो अलार्म के समान काम करेगा और जिसे अदृश्य रूप से शरीर में फिट कर दिया जाएगा । जैसे ही कोई दो व्यक्ति एक दूसरे के नजदीक आएँगे, अलार्म बज उठेगा । इसे हटाने या उतार कर रखने का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठेगा।”
सुनकर सब प्रसन्न हो गए और कहने लगे कि यह तो बहुत अच्छा रहा । अब हम सब प्रकार से महामारी से बचे रहेंगे ।
“एक बात बताइए ?”-कॉलोनी के पुराने बुजुर्ग निवासी रमा शंकर जी ने प्रश्न किया ” क्या यह प्रयोग केवल इस कॉलोनी पर ही लागू होगा या पूरे देश पर इसका प्रभाव रहेगा ?”
सुनकर डॉक्टर अग्रवाल थोड़ा उदास हो गए। बोले “यही तो मेरे साथ में दिक्कत हुई। मेरे इस प्रयोग की परिधि एक किलोमीटर से ज्यादा काम नहीं कर पा रही है। इसलिए पूरा देश तो बहुत दूर की बात रही ,मैं अपने समूचे शहर को भी महामारी से मुक्ति नहीं दिला पा रहा हूँ। मुझे जगह-जगह जाकर लोगों को यह बताना पड़ेगा कि मैं उनके गले में घंटी बाँध रहा हूँ और तब जाकर मैं शायद अपने पूरे शहर को या उसके कुछ हिस्से को रोगमुक्त कर सकूँ।”- कहकर डॉक्टर अग्रवाल चल दिए और कॉलोनी के निवासी उनके इस वैज्ञानिक चमत्कार के बारे में सोच कर सहर्ष कल्पना में डूब गए ।
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लेखक:रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर( उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451