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30 May 2021 · 1 min read

गले मिले

ख़्वाब बस ख़्वाब ही रह गया, ये कैसे सिलसिले मिले।
जब भी मिले तो लोगों के दरम्यान , फ़ासले मिले।
बरसो की तमन्ना है कि जब भी वो मिले,
बड़े प्यार से वो मुझसे , हँस के गले मिले।
– सिद्धार्थ गोरखपुरी

Language: Hindi
1 Comment · 297 Views
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