गली तेरी बना मेरा नगर होगा
**गली तेरी बना मेरा नगर होगा**
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ख़ुदा का यार मुझ पर कहर होगा,
सनम का घोंसला मेरा शहर होगा।
अगर देखूँ कहीं भी गैर बाँहों में,
उसी पल ही हमें पीना ज़हर होगा।
मिलूँ ना मैं कभी गर अँगना घर में,
खड़ा घर में सदा मेरे शज़र होगा।
हवा-तूफान-आंधी से घिरे जीवन,
तिरे दर पर गिरा बंदा नज़र होगा।
अगर आओ मगर मेरे चले हरदम,
तो इस्तिकबाल दीवाना पहर होगा।
नदी – नाले करूँ मैं पार बन प्रेमी,
डगर चाहे पड़े सागर नहर होगा।
न मनसीरत मिले गर राह में मेरी,
गली तेरी बना मेरा नगर होगा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)