“गलती हुई महोदय” #100 शब्दों की कहानी#
मीता के लिए कंपनी का जॉब नया-अनुभव था, सिर्फ मन में हमेशा डर समाया रहता, कहीं गलती न हो जाए । अब पापा की सीख ही उसका सहारा, “फाईलों में पिछे देख आगे चल” ऐसे ही सीखते हैं, बेटी हर काम और गलती नहीं होगी तो तुम जीवन में उन्नति कैसे करोगी ? वह अपनी गल्तियो में सुधार करते हुए लगन से हर काम पूर्णकर मुश्किल-हालातों में निर्णय लेने में सक्षम हो गई ।
आकस्मिक-निरीक्षण के दौरान कम्प्यूटर-ऑपरेटर होने के बावजूद मीता ने किए डाटा-कंपायलेशन में पायी गल्तियों हेतु मिला ज्ञापन, दूसरे पद का काम किया यही “गलती-हुई महोदय”।