“गलतियों का कठपुतला हूंँ मैं ll
“गलतियों का कठपुतला हूंँ मैं ll
खुद को बर्बाद करने पर तुला हूंँ मैं ll
दिल के घर में कोई टिकता ही नहीं,
चारों तरफ से एकदम खुला हूंँ मैं ll
न बह पा रहा, न डूब पा रहा ठीक से,
पानी पर बहता हवा का बुलबुला हूंँ मैं ll
आंखों की चमक-दमक भ्रम मात्र है,
जबकि अश्कों की बारिशों से धुला हूंँ मैं ll
मुश्किलों का नाम लेकर मत डराओ मुझे,
अनेकों बार मुश्किलों से मिला-जुला हूंँ मैं ll”