गलतियां
अपनों के साथ हुआ हो, या गैरों के
हर तजुर्बे से हमें ये सीख मिलती है
गलतियों से बचने की कोशिश करना
ही शायद हमारी सबसे बडी गलती है
कभी अनजाने, कभी आदतन, और कभी जानते बूझते
गलतियाँ करते रहना आजकल आम बात हो चली है
एक दूजे की गलतियों को देख कर भी अनदेखा करना
आज के युग में आपसी तालमेल की शुरुआत हो चली है
माना कि गलतियाँ करना तो इंसान की पुरानी आदत है
जो भूल से भी गलती ना करे वो तो करिष्मा ऐ कुदरत है
पर अपनी की हुई गलतियों से सीखने की भी तो ज़रूरत है
गलतियाँ करना और उन्हें दोहराते रहना तो सरासर गलत है
ऐसे में जब कभी कोई हमें हमारी गलती बताता है
क्यों सहन नहीं हो पाता, क्यूँ मन मान नहीं पाता है
जब कि मन ही मन हम भी यह जानते हैं मानते हैं
कोई हमारा, अपना ही तो, हमें गिरने से बचाता है
गलतियों को छुपाने से उन से कभी बचा नहीं जा सकता
वो उभर ही आती है आज नहीं तो कल बवन्डर बन कर
जरूरत है उन्हें जानने की, सीखने की, उनसे सबक लेने की
ताकि हम, अपने कल को जी सकें, आज से बेहतर बन कर
~ नितिन जोधपुरी “छीण”